मकर संक्रांति पर सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन देशभर के सभी सूर्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां जानिए विश्व प्रसिद्ध कोणार्क के सूर्य मंदिर की कुछ खास बातें...
1. उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर का आकार रथ की तरह दिखाई देता है। यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है।
2. इस मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। ये मंदिर विशिष्ट आकार और शिल्पकला के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
3. करीब 112 साल से मंदिर में रेत भरी हुई है। कई आक्रमणों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर को नुकसान हो चुका था इसलिए 1903 में बंद कर दिया गया था।
4. कई बार यह बात वहां जाने वाले को ही नहीं पता होती कि मंदिर का अहम हिस्सा जगमोहन मंडप बंद है।
5. एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण के बारह वर्षों से लकवाग्रस्त पुत्र सांब को सूर्य देव ने ठीक किया था। इसलिए श्रीकृष्ण ने सूर्य देव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण किया था।
6. शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य देव के रथ में बारह जोड़ी पहिए हैं और रथ को खींचने के लिए उसमें 7 घोड़े जुते हुए हैं। इसी मान्यता के आधार पर कोणार्क में भी रथ के आकार का मंदिर बनाया गया, जिसमें पत्थर के पहिए और घोड़े बने हैं।
7. यहां की सूर्य प्रतिमा पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखी गई है और अब यहां देव मूर्ति नहीं है।
8. सूर्य मंदिर समय की गति को भी दर्शाता है, जिसे सूर्य देव नियंत्रित करते हैं।
9. पूर्व दिशा की ओर जुते हुए 7 घोड़े सप्ताह के सातों दिनों के प्रतीक हैं।
10. 12 जोड़ी पहिए दिन के चौबीस घंटे दर्शाते हैं, वहीं इनमें लगी 8 ताड़ियां दिन के आठों प्रहर की प्रतीक हैं।
11. कुछ लोगों का मानना है कि 12 जोड़ी पहिए साल के बारह महीनों को दर्शाते हैं।
12. मंदिर में पत्थरों पर कई विषयों और दृश्यों पर मूर्तियां बनाई गई हैं। ये मूर्तियां बहुत ही आकर्षक हैं और इस मंदिर की पहचान हैं।