मंदिर में पूजा के लिए जाएं तो अंदर घुसने से पहले घंटी बजाने का नियम है. इसकी वजह सिर्फ धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक भी है.
बताया जाता है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है और यह वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाती है. इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है.
यानी जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है. इससे नकारात्मता दूर होने के साथ ही धनवर्षा भी होती है.
4 वजहें जिसके लिए बजानी चाहिए मंदिर में घंटी :
1. माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
1. माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है.
2. घंटी की कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है. सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं. इससे शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है.
3. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है. घंटी इसी नाद का प्रतीक मानी जाती है. यही नाद 'ओंकार' के उच्चारण से भी जागृत होता है.
4. मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है. मान्यताओं में प्रलय से बचने के लिए घंटी बजाना बताया गया है.
वहीं मंदिरों में एक नहीं, 4 प्रकार की घंटियां होती हैं. ये हैं -
1. गरुड़ घंटी: यह छोटी घंटी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है.
2. द्वार घंटी: मध्यम आकार की घंटी जो द्वार पर लटकी होती है.
3. हाथ घंटी: पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं.
4. घंटा: यह बहुत बड़ा होता है और इसे बजाने पर आवाज कई किलोमीटर तक जाती है.